Dehradun

खिड़की के बगल में बैठ कर,
इस छनी हुई धूप को देख कर,
इस हलकी सी शीत पवन को महसूस कर,
दूर कहीं गरजते बादलों को सुन कर,
मुझे याद तेरी आती है ।

खिड़की के बगल में बैठ कर,
दूर गगन में पहाड़ों को देख कर,
शीघ्र आने वाली वर्षा को महसूस कर,
चहचहाते पंछियों का संगीत सुन कर,
मुझे याद तेरी आती है ।

खिड़की के बगल में बैठ कर,
हर ओर लहराहते हुए वृक्षों को देख कर,
इस सुखद एकांत को महसूस कर,
और इस को कभी कभी भंग करने वाली मोटर कार की आवाज सुन कर,
मुझे याद तेरी आती है ।

बहुत समय गुज़र गया मेरे दोस्त,
जल्द ही वापस बुला ले,
कहीं ये यादें धुंधला ना जायें ।